मिशन किरण









केसरिया क्रांतिकारी 
कुछ सिमटती कुछ संभलती,
मानवता को रख आगे जो खुद पीछे चलती,
जिद पर अपनी जो पुरे जग से झगड़ती,
मिले गरीबों को हक़ बस इसी बात पर सबसे लड़ती,
कलयुग में माँ सरस्वती जैसी शान हो तुम,
घोर अँधेरे को जो चीरे वो सूर्य की किरण सी पहचान हो
तुम.....।।।।।
इंसानियत है क्या ये तुमने सिखलाया है,
बनकर आशा की किरण चहुँ और उजियारा तुमने फैलाया है,
पहचान नहीं होती उम्र की मोहताज ये तुमने बतलाया है,
कर न सके जो महारथी वो तुमने करके दिखलाया है,
गर्व से उठा मस्तक चलते है जो उन अपनों का अभिमान हो
तुम,
घोर अँधेरे को जो चीरे वो सूर्य की किरण सी पहचान हो
तुम......।।।।।
चलते रहना अपने पथ पर कभी रुकना नही,
भले ही आयें संकट हजार लड़ने से कभी थकना नही,
खड़े है साथ आपके हम सब किसी के आगे झुकना नहीं,
दिलाना है हक़ हकदारों को जिद से कभी अपनी हटना नही,
गरीबों को जो मिला ईश्वर का वो अभयदान हो तुम,
घोर अँधेरे को जो चीरे वो सूर्य की
किरण सी पहचान हो तुम.....।।।।।












