Friday, 22 December 2017

घोर अँधेरे को जो चीरे वो सूर्य की किरण सी पहचान हो तुम..।।

मिशन किरण



कुछ सिमटती कुछ संभलती,
मानवता को रख आगे जो खुद पीछे चलती,
जिद पर अपनी जो पुरे जग से झगड़ती,
मिले गरीबों को हक़ बस इसी बात पर सबसे लड़ती,
कलयुग में माँ सरस्वती जैसी शान हो तुम,
घोर अँधेरे को जो चीरे वो सूर्य की किरण सी पहचान हो तुम.....।।।।।

इंसानियत है क्या ये तुमने सिखलाया है,
बनकर आशा की किरण चहुँ और उजियारा तुमने फैलाया है,
पहचान नहीं होती उम्र की मोहताज ये तुमने बतलाया है,
कर न सके जो महारथी वो तुमने करके दिखलाया है,
गर्व से उठा मस्तक चलते है जो उन अपनों का अभिमान हो तुम,
घोर अँधेरे को जो चीरे वो सूर्य की किरण सी पहचान हो तुम......।।।।।

चलते रहना अपने पथ पर कभी रुकना नही,
भले ही आयें संकट हजार लड़ने से कभी थकना नही,
खड़े है साथ आपके हम सब किसी के आगे झुकना नहीं,
दिलाना है हक़ हकदारों को जिद से कभी अपनी हटना नही,
गरीबों को जो मिला ईश्वर का वो अभयदान हो तुम,
घोर अँधेरे को जो चीरे वो सूर्य की किरण सी पहचान हो तुम.....।।।।।


🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩


 🚩🚩केसरिया क्रांतिकारी 🚩🚩




Monday, 18 December 2017

आज एक कवि की कलम सीधे तुमसे संवाद करेगी|



चलो मान लिया की हिमाचल गुजरात जीत गये,
चुनावी संकट के दिन भले ही इन राज्यों से बीत गये,
पर याद करो जरा गुजरात को क्या परिणाम तुम्हे मिला है,
अपने गढ़ में खाई चोट ऐसा इनाम तुम्हे मिला है,
पद्मावती पर रह खामोश तुमने हिंदुत्व पर प्रहार किया है,
उदयपुर में बरसा लाठियां तुमने स्वाभिमान पर वार किया है,
गुजरात में मिली इस अधूरी जीत पर अहंकार में न फूलो तुम,
चतुर सिंह, आनन्दपाल पर उमड़े जनाक्रोश को  न भूलो तुम,
आज एक कवि की कलम सीधे तुमसे संवाद करेगी,
ये मुस्लिम तुष्टिकरण की निति देखना एकदिन तुम्हे बर्बाद करेगी जी,
देखकर आक्रोश जनता का देखो पक्ष विपक्ष ये सारा धूज रहा,
कमल का फूल हमारी भूल पुरे राजस्थान में बस यही नारा गूंज रहा,
जो मात्र सत्ता दल का करे गुणगान वो कोई कवि नहीं है जी,
सहता रहूँ अत्याचार ऐसी मेरी छवि नही है जी.....।।।।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
🚩🚩केसरिया क्रांतिकारी🚩🚩

Saturday, 9 December 2017

जागो ऐ रणधीरों


जागो ऐ शूरवीरों,
जागो मेरे समाज के रणधीरों,
देखो कैसा संकट आज ये छाया,
षड्यंत्रों में समाज ये घिर आया,
अन्धकार का ये बादल छाया,
वक्त ने वीरों को लाचार बनाया,

वक्त से आज तुम लड़ जाओ ओ वीरों,
जागो मेरे समाज के रणधीरों.....।।।।

अपनी खामोशी से क्या इतना तुम्हे आज प्यार हुआ,
देखों षड्यंत्र के तहत तुमपर कितना अत्याचार हुआ,
कल का अपराजित योद्धा क्यूँ इतना लाचार हुआ,
आखिर क्यूँ शत्रुओं का स्वप्न ये साकार हुआ,

अब तो स्वाभिमान जगाओ ओ वीरों,
जागो मेरे समाज के रणधीरों.....।।।।

बनकर राणा तुम लड़ जाओ,
हठी हमीर जैसे जिद पर अड़ जाओ,
कुछ ऐसा करके दिखलाओ,
की इतिहास पुन: अपना दोहराओ,

अपने स्वाभिमान को पहचानों ओ वीरों,
जागो मेरे समाज के रणधीरों.....।।।।




केसरिया क्रांतिकारी




Monday, 27 November 2017

उमड़ता राजपूत विरोध - एक प्रचण्ड क्रांति का आगाज





जब जब शांत हुए समुंदर में भूकम्प के झटके लगते है तो वो अंदर ही अंदर हिल जाता है। और इसके बाद सुनामी के रूप में जो विनाश आता है वो भयानक ही होता है।

विगत कुछ वर्षों से राजपूत समाज उसी समुंदर की भाँति शांत था लेकिन समय समय पर सरकार और इन भाँडो ने इतिहास, सम्मान, स्वाभिमान पर हमले कर करके राजपूतों को अंदर तक हिला के रख दिया है। वर्तमान में हिंसक होते राजपूत इसी का परिणाम है और शायद आने वाले समय मे ये रजपूती सुनामी एक भयंकर रूप धारण करेगी जिसका परिणाम या तो रजपूती स्वभिमान की विजय होगा या ये कौम समाप्त हो जाएगी।

देखते है अब वक्त के गर्भ में क्या छुपा है क्षत्रिय कौम का अंत या उनके स्वर्णिम पल का उदय पर ये निश्चित है कि आने वाले समय मे देश के अंदर एक अनुशासित व न्यायप्रिय तथा रक्षक की भूमिका को धारण करने वाली कौम पहली बार अनुशासन को तोड़कर अपने स्वाभिमान और सम्मान के लिए लड़ेगी।

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

               केसरिया क्रान्तिकारी

Sunday, 19 November 2017

वक्त आ पड़ा है वीरो की अब हथियार उठाए हम



देख भंसाली अपनी सारी हदों को तूने तोड़ दिया,
अहिंसक बने बैठे क्षत्रियो को पुनः हिंसा की तरफ मोड़ दिया,
पैसों के चक्कर मे तूने इतिहास से खिलवाड़ भरपुर किया,
बनने को हिंसक तूने ही हमें मजबूर किया,


अब तू ही बता क्यों ना क्षत्रिय परम्परा तुझे दिखालये हम,

वक्त आ पड़ा है वीरो की अब हथियार उठाये हम...।।


शर्म कर रे भांड तूने खिलजी जैसे को ही नायक बना दिया,
एक वहशी दरिंदे को तूने प्रेम का वाहक बना दिया,
बना गुलाम तू मुगली परम्परा का कैसा ये व्यवहार किया,
हर बार अपनी फिल्मो से हिंदू भावनाओं को तार तार किया,

कैसे करें धर्म का सम्मान ये आज तुझे सिखलाये हम,

वक्त आ पड़ा है वीरो की अब हथियार उठाये हम...।।


समय विकट था चितौड़ धरा खून से लथपथ थी,
स्वाभिमान की लड़ाई अपने अंतिम पथ पर थी,
लाल रक्त से शोभित धरा को तूने गुलाबी कर डाला,
शौर्य जीवनी को तूने आखिर क्यों प्रेम कहानी बना डाला,


क्या होता है शौर्य ये आज तुझे बतालाये हम,

वक्त आ पड़ा है वीरो की अब हथियार उठाये हम...।।

बहुत हुआ अब कैसे करे सम्मान इतिहास का ये तुझे सीखा देंगे,
क्या था क्षत्रिय शौर्य मैदान ए जंग में तुझे दिखा देंगे,
अब तू देख हर दिन कैसे ये जौहर की ज्वाला ओर प्रज्वलित होती है,
देखेंगे अब हम भी कैसे तुझसे हमारी संस्कृति यहां कलंकित होती है,

बैठ घुटनो पर मांग ले माफी ये तुझे समझाए हम,

वरना वक्त आ पड़ा है वीरो की अब हथियार उठाये हम......।।।।।

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
 
                *केसरिया क्रान्तिकारी*

Wednesday, 15 November 2017

क्यों ना नक्सली बन जाये हम?



देश रक्षा को रख ध्यान में सीमाओं पर डटे रहे,
फिर भी ना जाने क्यों इस लोकतंत्र में हम ठगे गए,
क्षत्रिय है हम बस इसी जिद पर अड़े रहे,
मातृभूमि की रक्षा है धर्म ये मान बांध कफ़न  खड़े रहे,


देकर इतने बलिदान भी आज क्यों संविधान में गुम है हम,

दो जवाब ऐ सियासतगारो आखिर क्यों ना नक्सली बन जाये हम....।।


आजादी बाद अखण्ड देश हेतु रजवाड़ो का दान किया,
सीलिंग एक्ट में गयी जमीने इस कड़वे विष का भी धैर्य से पान किया,
देश हित मे लुटाए खजाने फिर भी ना अभिमान किया,
फिर क्यों इस लोकतंत्र ने ना कभी हमारा सम्मान किया...।।


ना जाने कितने युवा गुमनामी में खो चुके,
ना जाने कितने सपने  आज मिट्टी में धूल हो चुके,
अरे आरक्षण ने ना जाने कितने भविष्यों को लूट लिया,
देख लटकते अपने भविष्य को फांसी पर अब सब्र का बांध टूट लिया,


क्यों ना फिर हथियारों के दम अपना भविष्य बनाये हम,

दो जवाब ऐ सियासतगारो आखिर क्यों ना नक्सली बन जाये हम....।।।।

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

               केसरिया क्रांतिकारी

आखिर पद्मावती का विरोध क्यों?


बॉलीवुड का पुराना इतिहास है कि उसने हमेशा एक राजपूत जाती के विरुद्ध दुष्प्रचार किया है। एक सुनियोजत ढंग से फिल्मो में ठाकुरों को गुंडा दिखाकर, अत्याचारी दिखा कर एक गौरवशाली व ऐतिहासिक जाती को जो हिन्दू धर्म की सदा से रक्षक रही है उसे बदनाम कर हिन्दू धर्म को अपमानित किया है। इन फिल्मी भाँडो ने मात्र पैसे कमाने के उद्देश्य से हिन्दू धर्म के देवी देवताओं तक का समय समय पर मजाक बनाया। शुद्ध इतिहास के साथ छेड़छाड़ करते हुए ना जाने कितने शूरवीरों को उनके यश को अपमानित किया है। अपने उसी इतिहास को दोहराते हुए अब संजय लीला भंसाली नामक भांड राजस्थान ही नही अपितु पूरे भारत वर्ष के सम्मान, शौर्य, आभा के साथ खिलवाड़ करने के उद्देश्य से सती माता पद्मावती पर फ़िल्म बना रहा है। इस फ़िल्म के माध्यम से भंसाली  सती माता पद्मावती को अलाउदीन खिलजी के प्रेमिका के रूप में दर्शाकर ना केवल इतिहास के साथ बल्कि राजपूत समाज, हिन्दू समाज की भावनाओं  व देश की महिलाओं की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने का प्रयत्न कर रहा है।

सती माता पद्मावती जिन्होंने अपने सतीत्व की रक्षा के लिए 16 हजार नारिओं के साथ जौहर किया ताकि खिलजी उनकी मृत देह तक को ना छू सके। ऐसी महारानी का उसी खिलजी से झूठा प्रेम प्रसंग दिखाकर भंसाली ने वर्षों से सो रहे समाज को पुनः जगा दिया हैं।

आज जगह जगह हो रहे विरोध प्रदर्शन के मूवी के कारण नही उपजे बल्कि वर्षों से वर्ग विशेष के खिलाफ चली आ रही साजिश के विरुद्ध आक्रोश के कारण उपजे है      इस विरोध व आक्रोश को हवा मिली पद्मावती मूवी में सती माता का गलत चित्रण करने से।

कहते है स्प्रिंग को जितना दबाया जाता है व उतनी तेजी से ही वार करती है ठीक उसी प्रकार राजपूत समाज के आक्रोश व धैर्य को हर पल दबाया गया लेकिन अब वो दबने वाली सीमा टूट चुकी है और इसकारण अब जो आक्रोश व विरोध प्रशाशन व बॉलीवुड को झेलना पड़ेगा उसके परिणाम निश्चित रूप से इन दोनों के लिये ही घातक होंगे।

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

               *केसरिया क्रांतिकारी*

Tuesday, 14 November 2017

बताओं ऐ क्षत्रियों अपने बन्द बाजुओं को कब खोलोगे तुम।।

पूर्वजो के खून से सिंचित धरा गयी,
स्वयं राजपुत्रों को ये ओछी राजनीति हरा गयी,
ना जाने कैसी घड़ी मां भवानी के पूतों की बुद्धि फिरा गयी,
स्वाभिमान के सच्चे वाहकों का स्वाभिमान पल में गिरा गयी,
अब भी रहे मौन तो फिर कब बोलोगे तुम,
बताओं ऐ क्षत्रियों अपने बन्द बाजुओं को कब खोलोगे तुम....।।

चाल देखो तुम्हारे खिलाफ ये भयंकर चली जा रही,
एक भांड के हाथों माँ पद्मिनी आज क्यों छली जा रही,
लोगो के मन मे आज अविश्वास की भावना क्यों पली जा रही,
तुम्हारी वो रक्षक वाली साख सारी मिट्टी में क्यों मिली जा रही,
इन दुराचाईओं को अपने बाहुबल से कब तौलोगे तुम,
बताओं ऐ क्षत्रियों अपने बन्द बाजुओं को कब खोलोगे तुम....।।

संकट विकट है इज्जत पर स्वाभिमान बचाना है,
दुष्ट हुए है प्रबल अब बन महाराणा इन्हें धूल में मिलाना है,
बन रक्षक स्वाभिमान के लोगो के दिल मे वही सम्मान जगाना है,
हो जाओ तैयार वीरो की जग में वापस अब केसरिया लहराना है,
अब भी नही जागे तो कैसे खुद को क्षत्रिय बोलोगे तुम,
बताओं ऐ क्षत्रियों अपने बन्द बाजुओं को कब खोलोगे तुम....।।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
*केसरिया क्रांतिकारी*