Tuesday, 14 November 2017

बताओं ऐ क्षत्रियों अपने बन्द बाजुओं को कब खोलोगे तुम।।

पूर्वजो के खून से सिंचित धरा गयी,
स्वयं राजपुत्रों को ये ओछी राजनीति हरा गयी,
ना जाने कैसी घड़ी मां भवानी के पूतों की बुद्धि फिरा गयी,
स्वाभिमान के सच्चे वाहकों का स्वाभिमान पल में गिरा गयी,
अब भी रहे मौन तो फिर कब बोलोगे तुम,
बताओं ऐ क्षत्रियों अपने बन्द बाजुओं को कब खोलोगे तुम....।।

चाल देखो तुम्हारे खिलाफ ये भयंकर चली जा रही,
एक भांड के हाथों माँ पद्मिनी आज क्यों छली जा रही,
लोगो के मन मे आज अविश्वास की भावना क्यों पली जा रही,
तुम्हारी वो रक्षक वाली साख सारी मिट्टी में क्यों मिली जा रही,
इन दुराचाईओं को अपने बाहुबल से कब तौलोगे तुम,
बताओं ऐ क्षत्रियों अपने बन्द बाजुओं को कब खोलोगे तुम....।।

संकट विकट है इज्जत पर स्वाभिमान बचाना है,
दुष्ट हुए है प्रबल अब बन महाराणा इन्हें धूल में मिलाना है,
बन रक्षक स्वाभिमान के लोगो के दिल मे वही सम्मान जगाना है,
हो जाओ तैयार वीरो की जग में वापस अब केसरिया लहराना है,
अब भी नही जागे तो कैसे खुद को क्षत्रिय बोलोगे तुम,
बताओं ऐ क्षत्रियों अपने बन्द बाजुओं को कब खोलोगे तुम....।।
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*केसरिया क्रांतिकारी*

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