जागो ऐ शूरवीरों,
जागो मेरे समाज के रणधीरों,
देखो कैसा संकट आज ये छाया,
षड्यंत्रों में समाज ये घिर आया,
अन्धकार का ये बादल छाया,
वक्त ने वीरों को लाचार बनाया,
वक्त से आज तुम लड़ जाओ ओ वीरों,
जागो मेरे समाज के रणधीरों.....।।।।
अपनी खामोशी से क्या इतना तुम्हे आज प्यार हुआ,
देखों षड्यंत्र के तहत तुमपर कितना अत्याचार हुआ,
कल का अपराजित योद्धा क्यूँ इतना लाचार हुआ,
आखिर क्यूँ शत्रुओं का स्वप्न ये साकार हुआ,
अब तो स्वाभिमान जगाओ ओ वीरों,
जागो मेरे समाज के रणधीरों.....।।।।
बनकर राणा तुम लड़ जाओ,
हठी हमीर जैसे जिद पर अड़ जाओ,
कुछ ऐसा करके दिखलाओ,
की इतिहास पुन: अपना दोहराओ,
अपने स्वाभिमान को पहचानों ओ वीरों,
जागो मेरे समाज के रणधीरों.....।।।।



















सटीक
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