जब जब शांत हुए समुंदर में भूकम्प के झटके लगते है तो वो अंदर ही अंदर हिल जाता है। और इसके बाद सुनामी के रूप में जो विनाश आता है वो भयानक ही होता है।
विगत कुछ वर्षों से राजपूत समाज उसी समुंदर की भाँति शांत था लेकिन समय समय पर सरकार और इन भाँडो ने इतिहास, सम्मान, स्वाभिमान पर हमले कर करके राजपूतों को अंदर तक हिला के रख दिया है। वर्तमान में हिंसक होते राजपूत इसी का परिणाम है और शायद आने वाले समय मे ये रजपूती सुनामी एक भयंकर रूप धारण करेगी जिसका परिणाम या तो रजपूती स्वभिमान की विजय होगा या ये कौम समाप्त हो जाएगी।
देखते है अब वक्त के गर्भ में क्या छुपा है क्षत्रिय कौम का अंत या उनके स्वर्णिम पल का उदय पर ये निश्चित है कि आने वाले समय मे देश के अंदर एक अनुशासित व न्यायप्रिय तथा रक्षक की भूमिका को धारण करने वाली कौम पहली बार अनुशासन को तोड़कर अपने स्वाभिमान और सम्मान के लिए लड़ेगी।
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केसरिया क्रान्तिकारी