एक बेटी श्रवण बनी है बोझ जिंदगी का ढोती है,
क्या विकासशील देश में मजदूरों की हालत यही होती है..।।
रोता मन रोती मेहनत धूप भी सूरज की रोती है,
शिखर दुपहरी में जब एक बेटी श्रवण बन चलती है..।।
धूप में जलता बचपन लेकिन राजनीति कुलर में सोती है,
चित्र देख उमड़ते ख्याल आखिर जिंदगी कितनी कठिन होती है..।।
मिल जाता है सरकार का साथ जिनके पास इसकी कीमत होती है,
ये भारत है मेरी जान यहाँ मजदूरों की किस्मत यूँ ही रोती है..।।
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
✍🏻 कुँवर चेतन सिंह चौहान "कलम"
No comments:
Post a Comment