Friday, 29 March 2019

मेरा राजस्थान




जहां के रेतीले धोरे भी सोना उपजाया करते है,
जहां के वीर शुरमे रणभेरी वचन निभाया करते है,
जहां शीश कटने पर धड़ लड़ जाया करते है,
प्रेम निशानी हेतु निज शीश तक कटवाया करते है,

अगले जन्म मुझे अगर जीवनदान मिले,
देश मिले भारत मेरा और मातृभूमि यही राजस्थान मिले..।।


जहां बचपन से ही त्याग बलिदान सिखाया जाता है,
जहां पालने में मातृभूमि का महत्त्व बताया जाता है,
जहां प्राणों से बढ़कर भी वचन निभाया जाता है,
प्रण की रक्षा हेतु एक राजा जंगल मे जीवन बिताया करता है,

हे ईश्वर अगले जन्म यही माता पिता और उनका नाम मिले,
देश मिले मुझे भारत मेरा ओर धरती राजस्थान मिले..।।

जिस भूमि पर पृथ्वीराज और वीर महाराणा ने जन्म लिया,
अकबर जैसे मुगलों का भी दम्भ चकनाचूर किया,
 जहां मीरा बाई जैसी भक्ति थी,
जहर पी लिया जिसने वो अद्भुत नारी शक्ति थी,

अगले जन्म मुझे यही वीरों की धरा महान मिले,
देश मिले मुझे भारत मेरा और मातृभूमि राजस्थान मिले..।।

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राजस्थान दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

कुँवर चेतन सिंह चौहान

Monday, 25 March 2019

मैं भारत के किसानों का दर्द सुनाने आया हूँ..।।


भूख मिटाई हमारी वो हम सबके भगवान बने,
पूरे विश्व के पटल पर भारत की पहचान बने,
जिसने लुटा दिया जीवन अपना देश की भूख मिटाने को,
लहू से सींचकर धरती वो धरतीपुत्र किसान बने..।।

आज उन्ही किसानो की दशा तुम सबको बताने आया हूँ
लाचार हुए किसान का दर्द तुम्हे सुनाने आया हूँ..।।


भूलकर परिवार अपना जो दिन रात हल चलाया करते है,
औरों का पेट भरने की खातिर खुद भूखे सो जाया करते है,
जिनके पांवों के छाले अक्सर लहू बहाया करते है,
उन किसान को आखिर क्यों राजनेता तरसाया करते है..।।

राजनीति के कारण बदहाल हुए किसान तुम्हे दिखाने आया हूँ,
आज धरती के भगवान का दर्द तुम्हे सुनाने आया हूँ..।।

जिसदिन भारत के ये किसान आपस मे मिल जाएंगे,
क्रोध के पुष्प जब इनके खेतों में खिल जाएंगे,
लुट चुके किसानों के जिसदिन त्रिनेत्र खुल जाएंगे,
उसदिन एक नही हजारों सिंहासन हिल जाएंगे..।।

तुम्हारी भूल का भयानक परिणाम समझाने आया हूँ,
मैं किसानों के दर्द का शोर सुनाने आया हूँ..।।

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जय जवान - जय किसान
कुँवर चेतन सिंह चौहान

Saturday, 9 March 2019

शौर्य का अहसास



बहुत दिनों के बिजी शेड्यूल के बाद थोड़ा सा वक्त टीवी देखने को मिला तो अनायास ही एक चेनल पर पद्मावत मूवी आ रही थी। मूवी अपने अंतिम चरण में थी और युद्ध व जौहर की तैयारी चल रही थी।

पद्मावत मूवी का नाम सुनते ही पिछले साल हुए दंगों, राजपूत आक्रोश व फ़िल्म के विरोध की छवि दिमाग मे घुमने लगती है। उन विरोधों में हम भी शामिल थे। रक्त पत्र से लेकर खुल्ला विरोध सबमे अगुवाई की। फिर भी फ़िल्म का रिलीज होना व रिलीज के बाद समर्थन व विरोध में कमेंट आना इन सबका दौर चालू हुआ। लगभग एक साल निकल गया मूवी देखने का मन ही नही हुआ फिर भी जब कल जौहर की तैयारी को देखा तो अपने आप ही आंखे उसपर टिक गई। बेशक फ़िल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ हुई जिसको लेकर मन मे क्रोध था लेकिन क्षत्राणियों के जौहर को यूँ फिल्मी पर्दे पर देखकर ना जाने क्यों आंखे उसपर ही अटक गई। दिमाग इतिहास में हिचकोले खाने लगा और अपने आप उस समय के हुए उस जौहर की तस्वीर दिमाग मे उभरने लगी।

जौहर कुंड की ओर बढ़ती क्षत्राणिया ओर जय भवानी के लगे नारे देखकर रोंगटे खड़े हो गए। दिमाग मे एक ही ख्याल आने लगा कि जिस दृश्य को मात्र फिल्मी रूप में देखने पर रोंगटे खड़े होने लगे वास्तविकता में वो दृश्य कितना ओजपूर्ण रहा होगा। क्या माहौल रहा होगा उस समय चितौड़ दुर्ग का जब सभी क्षत्राणियां उस दहकती जौहर अग्नि की ओर आगे बढ़ रही थी।


उस समय की कल्पना मात्र से एक ऐसे गर्व का अहसास होने लगा जो सिर्फ राजपूतों में ही हो सकता है। उस अहसास को शब्दों में वर्णित नही किया जा सकता। हम किस कुल से सम्बन्ध रखते है क्या हमारी संस्कृति है और किस प्रकार हमने उन्हें जीवंत रखा है।

इन सब चिजो से जुड़ाव होना आवश्यक है। वर्तमान समय के जुड़ाव व जानकारी के अभाव में उन सांस्कृतिक मूल्यों को हम खोने लगे है जिनके लिए पूर्वजों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है।

हमे खुद को व आने वाली पीढ़ी को अपने इन गौरवशाली इतिहास से और अपने संस्कृति से जोड़ना होगा ताकि हम इन बेशकीमती मूल्यों को खोने से बचा सके।

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क्षत्रिय धर्म युगे युगे

कुँवर चेतन सिंह चौहान
ठिकाना शाहजहांपुर (अलवर) राजस्थान