
जोगीराम सिंह जी व दौलत सिंह जी दो भाई थे जो कि मूलतः ग्राम महरोली में जोध सिंह जी की कोटड़ी (छोटा पाना) में आते थे जोगीराम सिंह जी जयपुर दरबार के नोकरी करते थे और दौलत सिंह जी गांव में ही रहते थे उनके बड़े भाई जब भी जयपुर दरबार के यहां से छुट्टी पर गांव आते थे तो दौलत सिंह जी को डांट ते थे कि गांव में क्या करता है चल में जयपुर दरबार के यहां नोकरी लगा देता हूं फिर कुछ समय बाद वो भी जयपुर दरबार के यहां नोकरी लग जाते है पर उनके बड़े भाई जोगीराम जी जगदीश जी भगवान जिनका मंदिर अजीतगढ़ के पास स्थित है जगह मुझे ज्ञात नही पर जगदीश जी महाराज के जोगीराम जी परम् भक्त थे वो उस भक्ति में लीन हो गए उनकी पूजा पाठ करने लगे फिर उधर दौलत सिंह जी जो को जयपुर दरबार के यहां नोकरी करने लग गए थे तो उस समय जयपुर रियासत मीणो से खूब युद्ध करा करती थी तो ऐसा ही एक युद्ध मीणो से चोमू के पास हुआ उस युद्ध में दौलत सिंह जी ने एक वीर योद्धा की तरह युद्ध लड़ा उनका सर धड़ से अलग होने के बावजूद वो लगातार लड़े और आखिर कर उनका शरीर चोमू में उस जगह गिरा जहां आज उनकी मजार बनी हुई है । मजार बनने के मामले में कई मतभेद है कोई कह रहा है कि उनकी शमाधि की सेवा एक मुसलमान ने की इस वजह से धीरे धीरे नाम दौलत साह हो गया और कोई कह रहा है कि आखिरी सांस के समय उन्होंने मुसलमान से मदद मांगी तो मुस्लिम ने मदद की उनकी मजार बना दी । अब दौलत सिंह जी वीर गति को प्राप्त हो गए तो जयपुर राजघराने उस योद्धा को कोई मान नही दिया उनके परिवार तक कि सूद भी नही ली तो उनके परिवार वालो ने उनके बड़े भाई जोगीराम जी को खूब कोसा की तू ही उनको लेके गया वहाँ और खुद छोड़ के आगया अब जोगीराम जी जगदीश जी महाराज के परम भक्त थे शक्तियां उनमे विराजमान थी उनको राजघराने पे गुस्सा आया और रातो रात अकेले ही चांदपोल का गेट उतार के जगदीश जी के मंदिर में लगा दिया ये कारनामा करने के बाद वो वापस भक्ति में लीन हो गए फिर जब जयपुर दरबार को ये बात पता लगी तो उन्होंने 50 योद्धाओ की एक टुकड़ी भेजी उनको लाने के लिए और उस टुकड़ी में जो योद्धा गए वो भी डरे हुए थे कि जो चांदपोल का गेट उतार सकता है वो कुछ भी कर सकता है तो उस टुकड़ी की सेना ने उनपे हमला उस समय किया जब वो भक्ति में लीन थे और उनकी गर्दन काट के जयपुर दरबार के सामने जब पेश की तो ज्यो ही कपड़ा उस गर्दन से हटाया तो चेहरा घूम गया ये देख के जयपुर दरबार अचंभित हुए और बोले किस वीर योद्धा की गर्दन लेके आगये तो जब दरबार को हकीकत मालूम पड़ी की ये भक्ति में लीन थे धोखे से इन्होंने इनकी गर्दन काट दी तो जयपुर दरबार काफी नाराज हुए और उन्होंने उस टुकड़ी में शामिल 50 के 50 यौद्धा को शूली पे लटका दिया। आज इस मजार पर ना केवल मुस्लिम अपितु हिन्दू भी माथा टेकने व अरदास माँगने जाते है।
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Source - कुँवर अजय सिंह शेखावत महरौली
जय क्षात्र धर्म
जय माँ भवानी
*केसरिया क्रांतिकारी*
No comments:
Post a Comment