क्या लिखूं कैसे
लिखूं आज कलम मेरी थर्राती है,
ना जाने क्यूँ फूलों
सी बेटी घर से निकलने में घबराती है,
देख रोज रोज होते
बलात्कार आँखे शर्म से झुक जाती है,
क्यों है लाचार
व्यवस्था इतनी बस यही बात दिल को चुभ जाती है,
उठो शक्तिस्वरूपा
कोई तो रानी झाँसी हो,
मत छोड़ो दरिंदो को
की अब तुम्हारे हाथो बीच चौराहें इनको फांसी हो...||||
देखो पैसो के बल पर
राजनीती का कैसा खेल बना है,
आज अपराधी और मंत्रियो
का बड़ा अजीब मेल बना है,
साला कानून तक इन पैसे
वालो की रखैल बना है,
सबने मिलकर लूटी
इज्जत कुछ ऐसा तालमेल बना है,
बुलंद करो स्वर अपने
अहसास हो की तुम भी भारत वासी हो,
मत छोड़ो दरिंदो को
की अब तुम्हारे हाथो बीच चौराहें इनको फांसी हो...||||
हालात बिगड़े है कानून
बिका है मत तुम इनका इतंजार करो,
कब तक तड़पोगी आखिर
क्यूँ तड़पोगी अब तो कुछ प्रतिकार करो,
इज्जत तुम्हारी
तुमको ही रक्षा करनी है अब खुद को तैयार करों,
केसरिया क्रांतिकारी
है साथ तुम्हारे अब बन रणचंडी तुम दरिंदों का संहार करो,
स्वयं की रक्षा हेतु
उठाओं तलवारे जो वर्षों से दुष्टों के खून की प्यासी हो,
मत छोड़ो दरिंदो को
की अब तुम्हारे हाथो बीच चौराहें इनको फांसी हो...||||
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⛳⛳⛳⛳ केसरिया क्रांतिकारी ⛳⛳⛳⛳
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