Friday, 30 March 2018

सुनलो ए क्षत्रियों तुम्हारा धूमिल होता केसरिया ध्वज बोल रहा हूँ मैं...।।।।



गगन को छूकर इठलाता था,
क्या होता है लहराना ये दिखलाता था,
धर्म का पालन करना सिखलाता था,
कैसे जीना है क्षत्रिय बन ये हमेशा बतलाता था,
बन्द हो चुके मेरे इतिहास को आज खोल रहा हूँ मैं,
सुनलो ए क्षत्रियों तुम्हारा धूमिल होता केसरिया ध्वज बोल रहा हूँ मैं...।।।।

लाखो योद्धाओं का रक्त मुझमे ही समाया था,
पहन केसरिया बाना वीरों ने रण में युद्ध कौशल दिखलाया था,
ना जाने कितने शत्रुओं के रक्त से उन्ही को नहलाया था,
तब जाकर मैं शान से उस गगन में गर्व से लहराया था,
आज उन्ही वीरों की संतानों के साहस को तोल रहा हूँ मैं,
सुनलो ए क्षत्रियों तुम्हारा धूमिल होता केसरिया ध्वज बोल रहा हूँ मैं...।।।।

अब भी सम्भलों अपनी शक्ति को पहचानों तुम,
पूर्वजों ने जो कि उस केसरिया भक्ति को पहचानों तुम,
मुझमे समाये वीरों के रक्त की कीमत पहचानों तुम,
हो विश्वविजेता अपनी हिम्मत को पहचानों तुम,
तुम्हारे अंदर सो चुके क्षत्रियत्व को आज टटोल रहा हूँ मैं,
सुनलो ए क्षत्रियों तुम्हारा धूमिल होता केसरिया ध्वज बोल रहा हूँ मैं...।।।।

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                                    केसरिया क्रान्तिकारी


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