जिस
प्रकार महाभारत में उतराधिकार का संघर्ष हुआ और एक बड़ा युद्ध हुआ ठीक उसी प्रकार
एक युद्ध आज हर रोज लड़ा जाता है| नौजवान युवा अपनी जवानी को इस युद्ध में झोंक
देते है कुछ सफल हो जाते है कुछ असफलता के भंवर में डूब जाते है| यह युद्ध है आज सरकारी
नौकरी लेने का, क्यूंकि वर्तमान समय में आप कामयाब तभी है जब आपके पास सरकारी नौकरी
है| सरकारी नौकरी को आज आपके ज्ञान और कामयाबी का पैमाना बना दिया गया है|
इस
युद्ध में ना जाने कितने अर्जुन है, कितने अभिमन्यु है और ना जाने कितने कर्ण है|
जगह जगह कोचिंग गुरु द्रोणाचार्य बनी हुयी है और एक से एक अर्जुन तैयार करने में
लगी है| जिसके पास पैसे नही वो एकलव्य बने हुए है| लेकिन इन सबमे सबसे खास है
अभिमन्यु|
अभिमन्यु
वो युवा है जो घर के दबाव में, पड़ोसियों के ताने और दोस्तों की कामयाबी को देखते
हुए इस युद्ध में उतर तो चूका है लेकिन उसे ये ज्ञात नही की ये पूरा युद्ध ही उसके
लिए एक चक्रव्यूह है और इस चक्रव्यूह में उसे सिर्फ आने का रास्ता पता है जाने का
नही|
जैसा
की महाभारत काल में हुआ था ठीक वैसा ही यहाँ भी होता है रोज ना जाने कितने
अभिमन्यु इस चक्रव्यूह में फंसते है और वीरगति को प्राप्त होते है, चक्रव्यूह में
आज के अभिमन्यु को घेरे हुए है कोरवो के रूप में घरवालो के ताने, असफलता की निराशा,
मां पिता के सपनों का बोझ, पड़ोसियों की कुटिल मुस्कान और मानसिक तनाव| ये सभी
मिलकर ना जाने कितने अभिमन्यु को प्रतिदिन मारती है इस चक्रव्यूह में|
ना
जाने कब अभिमन्यु की मां निंद्रा को तोड़ेगी और अभिमन्यु इस चक्रव्यूह को तोड़ने की
कला सीखेगा| ना जाने कितने अभिमन्यु अभी और इस चक्रव्यूह में फंसके अपने प्राण
त्यागेंगे|
ना
जाने कब वर्तमान के अभिमन्यु इस चक्रव्यूह को तोड़कर बहार निकलेंगे और विजयश्री
प्राप्त करेंगे|
लेखनी
– कुंवर चेतन सिंह चौहान