Saturday, 18 April 2020

विश्वगुरु बनता मेरा हिंदुस्तान



कहते है कि समयचक्र खुद को दोहराता है और आज वही वक्त है जब मेरे देश का स्वर्णिम युग पुनः अपने तेज से प्रकाशित होने लगा है। एकतरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना नामक संक्रमण से त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है वही दूसरी तरफ भारत के प्रयासों से बीमारी ने अबतक देश मे अपना विकराल रूप नही दिखाया है।

कहते है एक सर्वोत्तम नेतृत्व ही अपने देश को उन ऊंचाइयों पर ले जाता है जहां से पूरा विश्व नतमस्तक होकर उसे प्रणाम करने लगता है। आजसे पहले भी कई बार ऐसा हुआ है जब विदेशी शक्तियों ने हिंदुस्तान के आगे झुककर उसे नतमस्तक होकर प्रणाम किया है व हिंदुस्तान का साथ मांगा है। लेकिन आज समय अलग है स्तिथियाँ अलग है। जब मेडिकल क्षेत्र में महारथ हासिल कर चुके देश कोरोना के आगे घुटने टेकने पर मजबूर हो गए तब एकमात्र देश भारत ने अब तक कोरोना को घुटनों पर लाकर टिका दिया।
देश की सरकार, पुलिस, फौज, स्वस्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी व अन्य कोरोना योद्धाओं ने जिस प्रकार अपने पूर्ण समपर्ण से देश का साथ दिया उसी का आज ये परिणाम है कि स्विट्जरलैंड जैसे देश ने अपने मैटरहॉर्न पर्वत को हिंदुस्तान के रंग में रंग दिया।

ये प्रमाण है कि मेरा देश आज फिरसे विश्वगुरु बनने को तैयार है और आने वाले समय में हिंदुस्तान पुनः विश्वशक्ति के रूप में अपने आपको स्थापित करेगा।

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जयहिंद
जय भारत

✍🏻 *कुँवर चेतन सिंह चौहान*

Thursday, 2 April 2020

लॉक डाउन - निर्णायक युद्ध




जैसा कि आप सबको पता है 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद 26  मार्च से सम्पूर्ण देश मे लॉक डाउन को लागू कर दिया था। कुछ लोगो को सरकार का ये फैसला सही लगा तो कुछ लोगो को गलत लेकिन असल मे लॉक डाउन की क्या आवश्यकता रही होगी जो मेरी सोच के अनुसार ये है-

लॉक डाउन का कारण- चीन के वुहान से निकले एक कोरोना वायरस (Covid-19) ने जब धीरे धीरे विश्व के महानतम देश जो विकसित है, जिनके पास सबसे बेहतरीन चिकित्साप्रणाली है उन्हें तेजी से अपनी चपेट में लेना शुरू किया और मौत का भयानक खेल शुरू हुआ तो भारत के पास इस वैश्विक समस्या से निपटने का एकमात्र रास्ता लॉक डाउन ही बचा था। बेशक भारतीय मेडिकल व्यवस्था भी कमजोर नही है लेकिन इतनी भी उन्नत नही की ऐसी परिस्तिथियो का मुकाबला सिर्फ मेडिकल इक्वेपमेंट्स के आधार पर कर सके इसलिए लॉकडाउन जैसी व्यवस्था को मजबूरन लागू करना ही एकमात्र उपाय रहा भारतीय सरकार के पास।

लॉकडाउन में कमी - बेशक लॉक डाउन ही एकमात्र उपाय था  भारतीय सरकार के पास लेकिन लॉकडाउन की घोषणा के समय गरीब और खासतौर से दिहाड़ी मजदूरों की तकलीफों पर खासा ध्यान न देने से भीड़ का अपने अपने गांवों की तरफ प्रस्थान करना लॉक डाउन की सबसे बड़ी कमी रही। यदि इस वर्ग को विश्वास में लेने का कार्य उचित समय पर और अधिक सजगता से होता तो दिल्ली जैसी हालात किसी भी जगह पर नही होते। लॉकडाउन के समय इन बारीकियों की ओर ध्यान न देना कुछ हद तक कमियां दर्शाता है।

लॉकडाउन का प्रभाव - जिसप्रकार सरकार ने लॉक डाउन की घोषणा की और सम्पूर्ण देश ने एकजुट होकर इसका समर्थन व पालन किया और वर्तमान में कर रही है उसका सीधा सीधा प्रभाव के रहा है कि कोरोना जैसी महामारी जिसने कुछ ही दिनों में अमेरिका जैसी व्यवस्थित व विकसित प्रणाली को घुटनों के बल पर ला दिया वो बीमारी भारत मे अपने उस विस्फोटक स्वरूप में अभी तक नही आ पाई है जिसका खौफ ना केवल भारतीय सरकार अपितु पूरे विश्व को था। ये वायरस अभी तक मुख्यत शहरों में ही सीमित है जिसका एकमात्र कारण सरकार द्वारा सही समय पर लॉक डाउन का फैसला लेना रहा क्योंकि अगर ये बीमारी एकबार गांवों में अपनी जड़ें जमाना शुरू कर देगी तो इसको सम्भालना व इससे बचना बहुत कठिन होगा। इस बीमारी के फैलने से जो स्तिथि उत्पन्न होगी वो बहुत भयावह होगी जिससे देश ना केवल आर्थिक रूप से अपितु मानसिक रुप से भी कई साल पिछड़ जाएगा।

अतः समस्त देशवासियों को आज मिलकर ये शपथ लेनी चाहिए कि जब तक ये विपदा पूर्णतः समाप्त नही हो जाती हमे सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा व सरकार के हर कदम का समर्थन करना होगा। सच्ची देशभक्ति दिखाना सिर्फ बॉर्डर पर जाना नही होता यदि इस विपत्ति काल में आप किसी भी प्रकार से देश की रक्षा करने में आप अपना योगदान दे रहे है तो निश्चित ही आप भी सच्चे देशभक्त है।

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जयहिंद जय भारत
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः
घर रहिए - सुरक्षित रहिए

✍🏻 कुँवर चेतन सिंह चौहान