भारतीय सेना को समर्पित एक छोटी सी रचना।
शीर्षक :- मैं हिन्द के शेरों का शौर्य सुनाने आया हूँ,
सन सैंतालीस से जो हुआ शुरू वो किस्सा तुम्हे बतलाता हूँ,
आओ आज तुम्हे मैं हिन्द की सेना का शौर्य दिखलाता हूँ,
वीरों की वीरता का एक एक बिंदु तुमझे समझाता हूँ,
अमर वीरता के शोणित से अंतर्मन को पिघलाता हूँ,
सेना ने जो करे स्थापित मैं वो कीर्तिमान बताने आया हूँ,
आज हिन्द के शेरों का शौर्य सुनाने आया हूँ..।।
भारत के वीरों की वीरता को ये दुश्मन उस वक्त झेंप गए,
अपने झूठे वीरता के चोले को उतार जमीन पर फेंक गए,
दुनिया ने भी माना था लोहा कारगिल का,
जब सवा लाख सशस्त्र पाकिस्तानी घुटने अपने टेक गए,
मैं उसी विजय की आज तुम्हे याद दिलाने आया हूँ,
आज हिन्द के शेरों का शौर्य सुनाने आया हूँ..।।
ये वही सेना है जिससे पाकिस्तान पूरा थर्राता है,
जिसके आगे खुद सेनापति बाजवा नतमस्तक हो जाता है,
देख शौर्य वीरों का काली का खप्पर भी भर जाता है,
वीर अब्दुल हमीद से टकराकर अमरीकी टैंक मिट्टी में मिल जाता है,
मैं उन्ही वीरों के चरणों में शीश झुकाने आया हूँ,
आज हिन्द के शेरों का शौर्य सुनाने आया हूँ..।।
मत छेड़ो शेरों को कि अबके मौत तुम्हारी पक्की है,
ये हिन्द की सेना है ना समझ युद्ध मे कच्ची है,
पाकिस्तान मिट जाएगा नक्शे से बात ये मेरी सच्ची है,
आकर चरण चुम लो तुम भारत के यही बात तुम्हारे लिए अच्छी है,
मैं देश के वीरों के प्रति अपना फर्ज निभाने आया हूँ,
मैं हिन्द के शेरों का शौर्य सुनाने आया हूँ..।।
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जय हिंद
जय भारत
कुँवर चेतन सिंह चौहान
ठिकाना शाहजहांपुर