गगन को छूकर इठलाता
था, क्या होता है लहराना ये दिखलाता था, धर्म का पालन करना सिखलाता था, कैसे जीना है क्षत्रिय बन ये हमेशा
बतलाता था, बन्द हो चुके मेरे इतिहास को आज खोल रहा
हूँ मैं, सुनलो ए क्षत्रियों तुम्हारा धूमिल होता
केसरिया ध्वज बोल रहा हूँ मैं...।।।।
लाखो योद्धाओं का
रक्त मुझमे ही समाया था, पहन केसरिया बाना वीरों ने रण में युद्ध
कौशल दिखलाया था, ना जाने कितने शत्रुओं के रक्त से उन्ही
को नहलाया था, तब जाकर मैं शान से उस गगन में गर्व से
लहराया था, आज उन्ही वीरों की संतानों के साहस को
तोल रहा हूँ मैं, सुनलो ए क्षत्रियों तुम्हारा धूमिल होता
केसरिया ध्वज बोल रहा हूँ मैं...।।।।
अब भी सम्भलों अपनी
शक्ति को पहचानों तुम, पूर्वजों ने जो कि उस केसरिया भक्ति को
पहचानों तुम, मुझमे समाये वीरों के रक्त की कीमत
पहचानों तुम, हो विश्वविजेता अपनी हिम्मत को पहचानों
तुम, तुम्हारे अंदर सो चुके क्षत्रियत्व को
आज टटोल रहा हूँ मैं, सुनलो ए क्षत्रियों तुम्हारा धूमिल होता
केसरिया ध्वज बोल रहा हूँ मैं...।।।।
सभी बड़े भाइयों, हमउम्र और छोटे भाइयों को सादर जय माता जी की सा। एक भाईसाब ने पूछा की, "महिलाओं के प्रति घटिया सोच का कारण क्या है हमारे संस्कार हमारी सोच,हमारी शिक्षा,हमारा सिस्टम,हमारा वातावरण,हमारा खानपान या हमारा स्कूल/कॉलेज?" उनके सवाल का जवाब मेरे शब्दों में ये है -
देखिए सभी बिंदु कही ना कही इसके जिम्मेदार है क्योंकि सभी की अपनी एक अहमियत होती है व्यक्ति के चरित्र निर्माण में।
मैं माता पिता के दिये संस्कारों पर कोई उंगली नही उठा रहा क्योंकि इतना मुझे हक नही लेकिन आजके पेरेंट्स अपने बच्चों को सोशल लाइफ से जुड़ने का अवसर तो प्रदान करते है, आधुनिकता से सम्पर्क तो कराते है, लेकिन उन्हें अपने इतिहास, शास्त्रों से परिचित नही करवाते जिसका असर आज की युवा पीढ़ी पर साफ साफ दिखाई देता है। पेरेंट्स टेलीविजन पर पर्दर्शित जोधा अकबर तो दिखा देते है पर साथ मे बैठकर उन्हें ये नही बताते की वास्तव में जोधा अकबर का इतिहास क्या है। फिर वही बेटी या बेटा जब घर की इज्जत लुटवाता है तो सिर पिट लेते है। बस यहीं कमी रह जाती है माँ पिता के संस्कारों में।
हमारा सिस्टम सबसे बेकार हो चला जा क्योंकि यहां संवेदना या संस्कृति कोई मायने नही रखती सिर्फ पैसा और प्रदर्शन मायने रखता है इसलिए सिस्टम तो हर प्रकार से जिम्मेदार है आज के युवाओं के आचरण के लिए।
हमारी सोच भी आज आधुनिकता के दौर में आधुनिक हो चली है फिर वो चाहे नारी सम्मान हो, माता पिता का या बुजुर्गों का सम्मान हो या अन्य कोई भी विषय सभी पर हम अपनी संस्कारित सोच को खोकर आधुनिक तौर पर सोचने लगे है इसलिए कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है।
हमारा वातावरण बेशक घरेलू स्तर पर सही हो परन्तु सबसे ज्यादा असर सोसाइटी के वातावरण का पड़ता है जो आजके समय बहुत हद तक दूषित हो चला है और इसका सीधा सीधा असर मानवीय सोच और समझ पर पड़ा है। हर जगह बलात्कर, छेड़छाड़ आदि घटाएँ आम हो चली है और कहते ह खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदल लेता है तो जैसा आसपास हो रहा है वैसा ही कुछ युवा पीढ़ी अनुसरण कर रहे है और उसके परिणाम सामने है।
हमारे खानपान से क्या असर होता है मैं नही कह सकता क्योंकि खानपान सिर्फ जीभ की तृष्णा ओर पेट की भूख मिटाने को ही होते है।
स्कूल/कॉलेज इत्यादि का माहौल आज सबको पता है मैं खुद स्कूल में जोब करता हूँ और स्कूल में बड़ी क्लास के किशोरों के मन मे नए नए आकर्षण पैदा होना लाजमी है लेकिन उन्हें सही गाइडेंस नही मिल पाता जिसकी वजह से इस समय ये भटक भी ज्यादा रहे है। स्कूल कॉलेज आज पढाई कम और अपनी शान ओर शौकत को दिखाने जरिया बन चुका जा जिसकी वजह से युवा पीढ़ी पर बुरा असर पड़ रहा है और इसके परिणाम आपके सामने है।
उम्मीद है अपने शब्दों में मैंने जो भी कहा आप समझ पाएंगे।