जिसके नाम से अकबर सपनो में डर जाता था,
एक पड़े भाला तो भीमकाय शत्रु तुरन्त मर जाता था,
जिसकी गर्जना से पूरा आकाश शौर्य से भर जाता था,
वो नाम वीर शूरमा महाराणा कहलाता था,
महाराणा हारें थे ये बात तुम्हे किसने बताई है,
अकबर महान बताते शिक्षामंत्री तुम्हे तनिक लाज न आई है..।।
हिंदुस्तानी होकर ना जाने क्यों मुगल तुम बन रहे हो,
आखिर किस बात का है घमंड किस अहम में तन रहे हो,
गलत पढ़ाकर आखिर कैसे शिक्षित युवा जन रहे हो,
आखिर क्यों विधर्मी होकर राष्ट्रवादियों से ठन रहे हो,
खुदके शूरमाओं पर उठा रहे उंगली कैसी शिक्षा पाई है,
अकबर महान बताते शिक्षामंत्री तुम्हे तनिक लाज न आई है..।।
जिसदिन रक्त राणा के वंशजों का फिरसे उबाल खायेगा,
पछताओगे तुम कुछ न तुम्हे समझ मे आएगा,
माफी मांगो महाराणा से नतमस्तक हो प्रणाम करो,
कभी तो पढाओं सच्चा इतिहास जाकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार करो,
महाराणा पर उंगली उठाकर तुमने राजस्थानी मिट्टी है लजाई,
अकबर महान बताते शिक्षामंत्री तुम्हे तनिक लाज न आई है..।।।।
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*कुँवर चेतन सिंह चौहान*