आज सुनाता हूँ कुछ भूली बिसरी मेरे गाँव की बातें,
मेरे गाँव के वो सुनहरे दिन वो चांदनी राते,
वो सबका मिलकर चौपालों पर बैठना,
छोटी छोटी बातों पर दोस्तों से ऐंठना,
हर त्यौहार पर सबका एक हो जाना,
मिलकर एक परिवार बन जाना,
साथ में तीज त्यौहार मनाना,
वही था वास्तव में गाँव का असली खजाना,
लाती थी किसी की बुआ किसी की मौसी साथ अपने खुशिओं की
सौगाते,
आज सुनाता हूँ कुछ अच्छी भूली बिसरी मेरे गाँव की
बातें,
रोज शाम दादी के साथ मंदिर जाना,
मंदिर तो था बस दादी के साथ घुमने जाने का एक बहाना,
खेतों पर जाकर वो कुऐ पर नहाना,
होकर तरो ताजा फिर पुरे गाँव में हुडदंग मचाना,
रोज रात को दादी का अलग अलग कहानियां सुनना,
कहानी सुनते सुनते दादी की गोद में ही सो जाना,
काहनी का थी वो बस दादी के प्यार की अनुपम बरसात थी,
धरती के उपर स्वर्ग हो जैसे कुछ ऐसी मेरे गाँव की बात
थी.......||||||||||
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Chiksa