जब शौर्य और साहस के बल पर दुनिया बनी थी हमारी दीवानी,
केसरिया बाना पहन जब रणभूमि में कूदी रजपूती जवानी,
स्वाभिमान की रक्षा हेतु जब जौहर करती थी माँ पद्मिनी जैसी महारानी,
आज केसरिया ध्वज दिला रहा है हमको याद वही पुरानी....।।।।
राणा प्रताप के साहस ने जब अकबर को याद दिला दी थी उसकी नानी,
17 बार गौरी को करके माफ जब सम्राट चौहान ने लिखी क्षमादान की नई कहानी,
गौरा बादल की स्वामिभक्ति जब इस दुनिया ने थी देखी और पहचानी,
आज केसरिया ध्वज दिला रहा है हमको याद वही पुरानी....।।।।
घड़ी विकट है संस्कृति का विनाश निकट है शांति की बाते हुई अब बेमानी,
अब उठेंगे शस्त्र धधकेगी ज्वाला प्रतिशोध की और सीने में जागेगी वीर भवानी,
दिखाना है अब जमाने को केवल वक्त बदला था ना बदला अभी तक रक्त स्वाभिमानी,
आज केसरिया ध्वज दिला रहा है हमको याद वही पुरानी....।।।।
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जय माँ भवानी जय क्षात्र धर्म
🚩🚩 केसरिया क्रान्तिकारी🚩🚩